पटना: कृषि क्षेत्र में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है. विज्ञान के प्रयोग से किसान धनवान बन रहा है. साथ ही माडर्न खेती विधि सेे भारत का चेहरा भी चमक रहा है. कभी सिर्फ खाद्दान्न आपूर्ती के लिए दुनियाभर में जाना जाने वाला भारत आज सब्जी, फल, औषधी और मसालों के उत्पादन में नए-नए रिकार्ड बना रहा है. आय बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भारत के किसानों ने अनाज पैदा करने के साथ-साथ फलों और सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी है. बिहार राज्य भी खेती के इस बदलाव से अछूता नहीं रहा है. आज बिहार के किसान ड्रैगन फ्रूट से लेकर मशरूम चाय और स्ट्राबेरी तक की खेती कर रहे हैं.
35 एकड़ रकबे में की जा रही है स्ट्राबेरी की खेती
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिहार के औरंगाबाद के किसान आज 35 एकड़ से ज्यादा रकबे में सट्राबेरी की खेती कर रहे हैं. साथ ही बिहार के किशनगंज के चाय की खेती लगभग 10000 एकड़ में पहुंच चुकी है. सरकार द्वारा किशनगंज में ड्रैगन फ्रूट का रकबा बढ़ाने के लिए 40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है.
कृषि क्षेत्र में बिहार का स्थान
बिहार में देशभर की कृषि भूमि का महज 3.8 प्रतिशत हिस्सा है. इस कृषि भूमि पर 8.6 % आबादी निर्भर करती है. कृषि भूमि का 97% हिस्सा लघु और सीमांत किसानों के पास है. राज्य में ज्यादातर उत्पादन छोटी जोत पर निर्भर करती है, लेकिन ये संतोषजनक है कि राज्य के किसानों ने छोटी जमीनों पर भी सब्जी और फल का अधिकाधिक उत्पादन करना सीख लिया है. बिहार आज देशभर में सब्जी उत्पादन में चौथे स्थान पर और फल उत्पादन के मामले में सातवें नंबर पर है. नेशनल रिकॉर्ड के हिसाब से बिहार में 20 हजार टन शहद का उत्पादन भी होने लगा है. शहद उत्पादन के मामले में बिहार आज चौथे स्थान पर काबिज है.
तकनीक बढ़ा रही किसानों की इनकम
देश में किसानों की आय बढ़ाने को लेकर लगातार मशीनों का उपयोग किया जा रहा है. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. बिहार में फसलों का पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार मशीनीकरण पर जोर दिया जा रहा है. राज्य में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें मशीनों की खरीद पर किसानों को सब्सिडी दिया जाता है. साथ ही मशीनों की खरीद से लेकर इनके मरम्मत तक की व्यवस्था बिहार में की जा रही है. राज्य में 8,400 तकनीशियनों को ट्रेनिंग दिया जा रहा है ताकि खराब यंत्रों की मरम्मत की जा सके.